दुनिया का एक ही धर्म है मानवता: आचार्य संजीव रूप

 दुनिया का एक ही धर्म है मानवता: आचार्य संजीव रूप

हापुड़,सीमन:आर्य समाज हापुड़ के तत्वावधान में हापुड़ मे आयोजित पांच दिवसीय भव्य संगीतमय भक्ति सत्संग समारोह में शनिवार को महर्षि दयानंद सरस्वती की 198 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर विश्व कल्याण की कामना के साथ आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के द्वारा यज्ञ किया गया । यज्ञ के पश्चात बदायूं से पधारे अंतर्राष्ट्रीय वैदिक कथाकार आचार्य संजीव रूप ने कहा कि "महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक, परम योगी, वेदों के भाष्यकार तथा परम राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने स्वराज्य का महत्त्व बताते हुए कहा था स्वदेशी राज्य ही सर्वोत्तम होता है। विदेशी राजा पिता के तुल्य प्रेम करने वाला हो तब भी अच्छा नहीं होता। महर्षि दयानंद ने विश्व के गुरु सोने की चिड़िया भारत की  गुलामी का कारण छुआछूत, पाषाण पूजा, मिथ्या अहिंसावाद, अवतारवाद, फलित ज्योतिष व वेद विरुद्ध आचरण को माना था। उन्होंने कहा दुनिया का एक ही धर्म है और वह मानवता है। हम सब की एक ही जाति है और वह मनुष्य है। हम अपने धर्म मानवता का पालन करें तथा राष्ट्र को सदा प्रथम रखें । इस अवसर पर आर्य समाज के संरक्षक आनंद आर्य ने कहा "आर्य समाज सबका हितैषी है , आर्य समाज चाहता है कि दुनिया में शांति हो, सबको उन्नति का अवसर मिले सब एक दूसरे से प्रेम करने वाले हो,  समाज में कोई भ्रष्टाचारी व्यभिचारी न रहे। समाज के मंत्री अनुपम आर्य ने कहा योग और यज्ञ करना सिखाया था महर्षि दयानंद ने राष्ट्रहित में बलिदान किया था महर्षि दयानंद ने। बरेली से पधारे पंडित मुकेश आर्य सुंदर भजन प्रस्तुत किए। आर्य समाज के सदस्यों ने 198 दीप मंदिर प्रांगण में जलाए जो बहुत सुंदर दृश्य उपस्थित कर रहे थे। कार्यक्रम मेंअनिल आर्य कसेरे के द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।मंगल सेन गुप्ता,  शशि सिंघल,  वीना आर्य,  पुष्पा आर्य,अलका सिंघल,प्रतिभा भूषण,सोनू शर्मा,सुरजीत सिंह, सुंदर कुमार आर्य, प्रदीप आर्य ,सुरेंद्र कबाड़ी,सुंदर लाल आर्य,आदि मौजूद रहे।