स्वतंत्रताया: क्रांति: नाटक का हापुड़ में भव्य मंचन

 स्वतंत्रताया: क्रांति: नाटक का हापुड़ में भव्य मंचन

हापुड़, सीमन:आर्य समाज मंदिर हापुड़ में रविवार को विशिष्ट अतिथि डॉ  विकास अग्रवाल क्षेत्रीय महामंत्री,सांसद राजेंद्र अग्रवाल व  कमल दत्त शर्मा पूर्व मंत्री तथा डॉ वागीश दिनकर प्राचार्य आर एस एस पी जी डिग्री कॉलेज पिलुखुवा एवं डॉ लोकेश वर्मा उपनिरीक्षक संस्कृत पाठशाला मेरठ मंडल द्वारा दीप प्रज्वलिज कर संस्कृत नाटक स्वतंत्रताया: क्रांति:  का शुभारंभ किया । संस्कृत नाटक की शुरुआत अकबर काल के किंग जेम्स से होती है जिसने हिंदुस्तान में तिजारत करने के लिए बादशाह अकबर से कोशिश की और नाकाम रहा। इसके बाद सर थामस से हिंदुस्तान आया और उसने बेगम नूरजहां से भारत में व्यापार करने की इजाजत और विशेष अधिकार हासिल कर लिए। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार के नाम पर अपनी जड़ें मजबूत करना शुरू कर दिया और हिंदुस्तानी हुकूमत की जड़ें खोदने के तरीके तलाशने लगे और धीरे-धीरे हिंदुस्तान में अपनी एक मजबूत फौज खड़ी कर ली। अंग्रेजों ने जमीदारों के सारे अधिकार खरीद लिए और लगान वसूल करने लगे,धान की जगह बलपूर्वक नील और अफीम की खेती कराए जाने लगी। इधर किसानों पर तरह-तरह के जुल्म होने शुरू हो गए और उधर हिंदुस्तानी सिपाहियों का शोषण होने लगा।अब हिंदुस्तान में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ असंतोष फैलने लगा। महारानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को झांसी का वारिस मानने से इनकार कर दिया गया। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को ललकारा मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी, किसी कीमत पर नहीं दूंगी भारतीय सैनिकों ने गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूस का मुंह से खोलकर इस्तेमाल करने से मना कर दिया और मंगल पांडे ने सार्जेंट को गोली मार दी। मंगल पांडे और ईश्वर पांडे को फांसी पर चढ़ा दिया गया।मेरठ की लाइट कैवेलियरी के 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। यही 85 सैनिक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सूत्रधार बने। नाटक में विभिन्न किरदारों ने अपने सशक्त अभिनय के द्वारा दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आर्य समाज मंदिर हापुड़ के प्रधान नरेंद्र कुमार आर्य, मंत्री अनुपम आर्य, आनंद प्रकाश आर्य तथा कार्यकारिणी सदस्यों का सहयोग रहा। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के निदेशक पवन कुमार तथा अध्यक्ष डॉ वाचस्पति मिश्र के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में संस्कृत रंगमंच कार्यशाला का आयोजन वह संस्कृत नाटकों का मंचन संचालित किया जा रहा है।