काव्य संध्या का आयोजन
हापुड़, सीमन : हिंदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में एक काव्य संध्या का अयोध्यापुरी में आयोजन किया गया।कवि शायर एवम् गजलकारों ने अपनी रचनाओं से काव्य संध्या को यादगार बना दिया। अध्यक्षता शायर फसीह चौधरी नेकी ।
वरिष्ठ कवि प्रेम निर्मल ने पढ़ा, ' देव भूमि में जल प्रलय विध्वंसक विकराल, बांध सेतु क्या गांव तक , बने काल के गाल !
बजट प्रनेती ने किया कितना बड़ा फरेब,
जिसको देखो उसी की काट ले गई जेब।
वरिष्ठ शायर फसीह चौधरी ने पढ़ा,' फसीह को भूलना आसां नहीं है ए जानां,
सुना है तुम पे मुहब्बत का इक उधार सा है।
प्रख्यात कवि डा. अनिल बाजपेई ने पढ़ा, ' सदमें में डूबा ये सारा शहर है,और वो आज अभी तलक बेखबर है,उम्मीद का सूरज हमें दिखा रहे जो,कुछ नहीं यारो सभी कुछ बेअसर है!
महावीर वर्मा मधुर ने पढ़ा,' लोग आजकल उलझ रहे बेमतलब की बातों में,लगता है उल्लू आ बैठे,अब हंसों की पांतों में!
शायरा मुशर्रफ चौधरी ने पढ़ा , बागी हूं सिरफिरी हूं मुझे मार दीजिए,में सोचने लगी हूं मुझे मार दीजिए,
डा. आराधना बाजपेई ने पढ़ा ,मां का आंचल व्योम है,इतना है विस्तार,अनु शब्द इतना वृहद,ना सिमटे संसार!
दिनेश त्यागी ने पढ़ा ,खेती तो वरदान है,समझो इसका मोल, माटी से सोना उगे ,उगे रतन अनमोल!
पंडित शिव प्रकाश शर्मा ने पढ़ा ,' ये देश ये तिरंगा ये संविधान किसका है,
नुकसान जो हुआ,नुकसान किसका है !
शायर आकिब साद ने कहा,अदावतें मिटाकर मुहब्बत बांटो,क्यों अपने खून को इतना उबाल रक्खा है।
काव्य संध्या में प्रशांत शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।